आगरा घरांना
आगरा घरांना के प्रवर्तक हाजी सुजान माने जाते है. इस घराने का प्रचार खुदा बख्श ने किया. वे नत्त्थन पीर बख्श के शिष्य थे. इन्होने आगरा जाकर ग्वालियर घराने कि गायकी को एक नया रूप दिया जो आगे चलकर आगरा घराने के नाम से प्रसिध्द हूआ. इस घराने के प्रमुख संगीत कलाकारो मे नत्त्थन खां, गुलाम आब्बास खां तथा कलन खां के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है. आगरा घराने कि शिष्य परंपरा मे मुहम्मद खां, अब्दुल खां फैयाज खां, विलायत हुसेन खां तथा बन्ने खां आदी के नाम आते है.
विशेषताए :-
१- इस घराने के गायक जवारीदार आवाज मे गायन-प्रदर्शन करते है. ग्वालियर घराने का प्रभाव पडणे से खुली आवाज मे गाना इस घराने कि विशेषता है.
२- इस घराने के गायको के आलाप लेने का ढंग निराला है. अधिकांश गायक प्राय: नोम-तोंम का आलाप लेते है.
३- इस घराने मे पेंचदार बंदिशे गायी जाती है. बंदिशो के मुखडे विलक्षण होते है.
४- इसमे विशेष प्रकार के बोल-तानो का प्रयोग किया जाता है.
५- इस घराने मे जबडे कि तानो को महत्व दिया जाता है.
६- इस घराने मे लय और ताल कि तैयारी पर अधिक बल दिया जाता है.
इस घराने मे धृपद, धमार और ख्याल के अतिरिक्त ठुमरी गायन का विशेष प्रचलन है.
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