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संगीत क्षेत्र मे व्यवसाय कि दृष्टी से विविध संभावनाये
संगीत निर्मिती मे गायन, वादन और नृत्य ये तीन कलाएँ संयुक्त हैं। आज हर कोई यह जानता है। लेकिन भारतीय संगीत आज इस शब्द तक सीमित नहीं है। क्योंकि आज भारतीय संगीत वैश्विक स्तर पर पहुंच चुका है। संगीत का पूरी दुनिया मे अपना अलग महत्व और सम्मान है। आज संगीत का जादू हर जगह है। प्राचीन काल से संगीत का एक विशेष महत्व है। आपको यह भी पता नहीं होता कि आपका शरीर एक लोकप्रिय धुन सुनकर कब लय मे चलता है। संगीत अब मनोरंजन का एकमात्र साधन है जिसे आप इन्कार नहीं कह सकते। संगीत का मनोरंजन जैसे लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो मानसिक शांति के लिए मानसिक तनाव से राहत देता है। जो लोग संगीत एक शौक के रूप में रखते हैं, उनकि पुरी दुनिया मे कोई कमी नहीं है संगीत के बदलते स्वरूप को देखते हुए यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है। युवा पीढ़ी मुख्य रूप से इस क्षेत्र से आकर्षित है। न केवल ध्वनि शिक्षा बल्कि उसकी सतर्कता और समर्पण भी सबसे अधिक आवश्यक है। आज की स्थिति में विदेशी देशों के छात्रों को संगीत समूह (या संगीत बैंड) देकर संगीत का प्रदर्शन करने पर जोर दिया जाता है। छात्र, गायक और संगीतकार इसमें शामिल हो रहे हैं। आज सैकड़ों संगीत समूह छोटे पैमाने पर दिखाई देते हैं जैसे स्कूल, कॉलेज। इसके पीछे कारण यह है कि अधिकांश छात्र सोचते हैं कि यह संगीत कैरियर का एक ही मार्ग है। लेकिन संगीत की दुनिया में आज स्थिति कुछ अलग है। आज संगीत के छात्रों के लिए कई तरह के कैरियर मार्ग उपलब्ध हैं। जिसका संक्षेप में विवरण करने की कोशिश की है।
1) संगीत शिक्षक – (संगीत शिक्षक – व्याख्याता)
संगीत के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र संगीत अध्यापन माना जाता है। क्योंकि यह सभी क्षेत्रों का स्रोत है। संगीत सिखाना एक बुनियादी काम है। जिसका समाज में सम्मान है। शिक्षक छात्रों को पढ़ाने और उनके भविष्य को सक्षम बनाने के लिए काम करते हैं। गुरुशिष्य परंपरा की आध्यात्मिक और पवित्र भावना संगीत के क्षेत्र में सभी को ज्ञात है। संगीत शिक्षण के क्षेत्र में, छात्रों को अपने भविष्य और अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जिसके लिए छात्रों को संगीत सीखना होगा। संगीत में एम.ए. कि डिग्री ळे कर किसी भी स्कूल या कॉलेज के संगीत शिक्षक पोस्ट पर काम करके या अपनी खुद की कोचिंग क्लासेस शुरू करके अध्यापन कर सकते हैं।
2) प्लेबैक सिंगर
पार्श्व गायन संगीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हर कोई प्लेबैक सिंगर बनने के लिए या एक अच्छा गायक बनने की कोशिश कर रहा है। लेकिन यह हर किसी के लिए संभव नहीं हो सकता है। क्यू कि हर एक व्यक्ती कि आवाज और उसका स्वभाव अलग होता है। इसलिए, किसी भी व्यक्ति को उसकी आवाज़ को जानना चाहिए और जानना चाहिए कि वह संगीत के मामले में क्या दिलचस्पी रखता है और फिर इस क्षेत्र में शामिल हो सकता है। क्योंकि पार्श्व गायकों को क्षेत्र में विभिन्न अवसर मिल सकते हैं। गीत, गजल, भजन, भक्ति, पॉप गायक विभिन्न प्रकार फिल्म में आते हैं? हर किसी को अपनी आवाज कीस गीत के प्रकार से मेल खाती है इस पर ध्यान केंद्रित करके यह देखना चाहिए कि कीस गीत प्रकार को उसे लक्ष बनाना है। आज संगीत के छात्र इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
3) संगीतकार और साथ –
संगीत की दुनिया में साथ संगत का बहुत जादा महत्व है। गाने कि कोई मैहेफील वाद्यो के साथ संगत के बिना पुरी नहि हो सकती। स्वर वाद्य और ताल वाद्य दोनो हि प्रकार के वादयो का गायन के साथ होना अनिवार्य है इसके अलावा गाना सफल नही माना जा सकता। स्वर वाद्यो के अंतर्गत हारमोनियम, पियानो, गिटार, वायलिन, बासोरी, सितार वाद्य शामिल हैं। इन वाद्यो की संगत से गीत खुलकर उभरता है। वैसे हि ताल वाद्यो के अंतर्गत तबला, ढोलक, शंख, ड्रमसेट जैसे वाद्य आते हैं। जो कि गाने को एक लय में रखते है। इस कारण से स्वरवादक और ताल वादक इन साथ संगत कारो को संगीत क्षेत्र मे महत्व और मान प्राप्त हूआ है। संगीत की दुनिया में जो सम्मान साथ संगत कारो को मिला है, उसे देखते हुए, छात्रों को आज स्वर और ताल वाद्य का अभ्यास करने पर अपना लक्ष केंद्रित करना चाहिए।
4) संगीत निर्देशक – (संगीत निर्देशक) (MUSIC DIRECTOR )
आज देश विदेश के फिल्मजगत का महत्वपूर्ण घटक जो कि फिल्मी संगीत है। इस फिल्मी संगीत का दर्जा दिनबदिन तरक्की करता नजर आ रहा है। जिस के पिछे दिग्गज कलाकार और शास्त्रीय संगीत के बडे जानकार वैसेही नएनए संगीत तज्ञों का सहभाग होने का आभास होता है। आज कि दुनियाँ में संगीत व्यवस्था एक प्रोद्योगिक गहन प्रक्रिया है। क्योंकि एक संगीतकार बनने के लिए आज सिंथेसायझर से लेकर सॉफ्टवेअर कि जानकारी रखना अनिवार्य हो गया है। आज शैक्षणिक दृष्टीकोन से देखाजाये तो इस
क्षेत्र में काफीसारी सुविधाएँ उपलब्ध है। क्योंकि महाविद्यालयों और निजी संस्थाओं में विद्यार्थी इस क्षेत्र का अभ्यास पूर्ण कर
सकते है। लेकिन साथही छात्रों को संगीत और वाद्य कुशलता भी हासिल करनी है। उसके बाद अपने पास का ज्ञान और इस क्षेत्र का अनुभव के आधारपर विद्यार्थी आगे बढ सकते है। “म्युझिक पब्लीशींग कंपनी” नए संगीतकार को मौका देने का काम करती है। इसलिए संगीत के विद्यार्थीयों को इस क्षेत्र में आकर अपने संगीत करिअर को बढावा देना सही होगा।
5) ध्वनी मुद्रण अभियंता (Sound/Recording Engineer)
आज के वैज्ञानिक युग के दृष्टीकोनसे संगीत क्षेत्र कि और देखे तो हम जान सकते है कि, संगीत क्षेत्र में बहोत से तांत्रिक प्रयोग किए जा चुके है। क्यों की आज का युग एक तांत्रिक युग है. और संगीत भी इस क्षेत्र में पिछे नही रहा है। संगीत को तंत्रज्ञान के आधार से नया रुप देना ही साऊंड इंजिनिअर का काम होता है।आज इस क्षेत्र कि और जादा से जादा युवा पिढी का सहयोग और आकर्षण दिखाई देता है। साऊंड इंजिनिअरींग करने के लिए महाविद्यालय और निजी संस्थाओं के चलते बहोत सारे करिअर के मौके उपलब्ध किए गए है। यह एक एैसा क्षेत्र है कि जिसमें Audio Engineering, Studio Manager, Multimedia Developer, Studio Designer यह सब कोर्स आते है। इन में संगीत, संवाद और संगीत के लिए उपयोगी नाद, इनको उच्चस्तर का स्वरुप देने का काम होता है। इस क्षेत्र में जो लोग काम करना चाहते है, उन्हे कम्प्युटर, सॉफ्टवेअर का ज्ञान होना जरुरी होता है। साथ ही संगीत का भी ज्ञान होना जरुरी है। इस क्षेत्र में विद्यार्थीयों को करिअर के लिए काफी सारें औसर मिल सकते है।
1) Film & Television
Institute of India – Pune.
2) National Institute of
Film & Fine Arts – Kolkata.
3) Asian Academy of Film
& Television – New Delhi.
6) संगीत चिकित्सक (Music Therapist)
संगीत शोधकार्यों के दरमियान देखने में आया है कि, संगीत सुनने से व्यक्ती का मानसिक संतुलन स्थिर रहता है। संगीत सुनने से मस्तीष्क का ताणतणाव दूर होता है। इन्सान अपना दुख भूलाकर खुश रह सकता है। और यह संभव करने के लिए संगीत चिकित्सा निर्माण कि गई है। सभी डॉक्टर और वैद्योने यह प्रमाणित किया है कि, संगीत सुनकर या संगीत चिकित्सा के आधार से मानवीय मस्तीष्क में सक्रीय बदलाव आ सकते
है. सकारात्मक विचार उत्पन्न होते है। संगीत चिकित्सक एैसे बहोत से लोगो को संगीत चिकित्सा से ठिक करते है। जो मानसिक दृष्टीसे निराश है या फिर वह मनोरुग्ण है। इसके लिए वह अस्पताल में जाकर उनका उपचार करते है। इसमें गाने गाना, गाने सुनना, संगीत के उपर चर्चा करना यह सभी बाते होती है। संगीत के विद्यार्थी इसमें काम कर सकते है। इसी क्षेत्र में बडेबडे हॉस्पिटल में करिअर का अवसर प्राप्त होता है। या फिर खुद का व्यवसाय या मान्यताप्राप्त संगीत चिकित्सा केंद्र शुरू किए जा सकते है।
7) संगीत पत्रकार (Music Journalism)
पत्रकार यह शब्द हम हमेशा सुनते है। पत्रकारों का अतुलनिय कार्य भी हम जानते है. दुनियाँ कि सभी घटनाएँ हमारे पास पत्रकारों कि
वजहसे ही पहोचपाते है। पत्रकार एक कलाकार कि जिवनशैली कि श्रृंखला हमारे सामने प्रस्तुत करता है. प्रिंट प्रकाशन, इलेक्ट्रॉनिक मिडिया के प्रसारण के लिए पुरे सांगीतिक विश्व में घुमकर हमतक एक पत्रकार यह सभी बातें पहोचाता है। बडे कलाकारों के कार्यक्रम रेकॉर्ड करना, उनकी
मुलाकात लेकर पुरी जिवनशैली, उनका संगीतजगत का सफर यह पुरा ब्योरा एकत्रित करने का कार्य पत्रकार करता है। इस कार्य का
उनका कोई वक्त नही होता। जहाँ संगीत का आयोजन जिस वक्त है वही उनका काम का वक्त होता है। इस क्षेत्र में जो विद्यार्थी काम करना चाहते है, वह अपनी पसंद और पत्रकारीता कि भावनाओं को समझकर इस क्षेत्र में भी काम कर सकते है।
8) वृंद वादन (Symphony & Orchestra)
ऑर्केस्टा यह एक प्रचलित संगीत प्रस्तुतीकरण का प्रकार हम सभी जानते है। क्यों कि इसका चलन जादा बढचुका है। लोगों को मनोरंजन के लिए सहज उपलब्ध होनेवाला यह प्रकार है। भारतीय ऑर्केस्टॉ में हर व्यक्ती अपनी कला में निपुन होता है, जो किसी तालवाद्य या स्वरवाद्य में निपुन होता
है। उसमें तबला, सितार, बासूरी, गितार, सिंथेसायझर, ड्रम, व्हायोलिन एैसे पाश्चात्य और भारतीय वाद्यों के सहयोग से फ्युजन संगीत प्रस्तुत किया जाता है। जिस वजह से यह जादा लोकप्रिय है। जेा छात्र ऑर्केस्टा में अपना करिअर करना चाहते है वो अपने जिवन में काम के साथ अच्छा संगितमय जिवन जी सकते है।
सिंफनी ऑर्केस्टा का स्वरुप –
जो छात्र सिंफनी ऑर्केस्टा में करिअर करना चाहते है उनको यहाँ अच्छा वेतन भी मिलता है। न्युऑर्क, बोस्टन, थ्लिवलॅन्ड, शिकागो और फिलाडेलफिया यहाँ के सिंफनी ऑर्केस्टा के सदस्य 2000 डॉलर से जादा मानधन लेते है। सप्ताह में छुट्टीओं के साथ् पेंशन व्यवस्था का लाभ भी इनको मिलता है। नियमित रुप से देशविदेश में प्रस्तुतीकरण का भी लाभ इन्हे दिया जाता है। सिंफनी ऑर्केस्टा का सदस्य बनना यह एक
बडी उपलब्धी है। क्यों कि इन कलाकारों को विश्व में बडा आदर का स्थान प्राप्त होता है। और विश्व -विद्यालयों में पढाने के
लिए भी सदैव आमंत्रित होते है। सिंफनी ऑर्केस्टा के सदस्यों को रोज अढाई घंटे काम करना होता है। पुर्व अभ्यासका वक्त भी इसमें शामिल होता है। महिने में कमसे-कम चार कार्यक्रम इन्हे दिए जाते है।
09) DJ (Disco Jockey)
संगीत क्षेत्र में भी हर आदमी कि पसंद अलग अलग हो सकती है। हर व्यक्ती को परंपरागत क्षेत्र में ही काम करना अच्छा नही लगता। कुछ अलग करने
कि चाहत कुछ व्यक्तीयों के मन में पनपती रहती है, जिन छात्रों को संगीत में रुची है वह युवा DJ संगीत
की और खिचे जा रहे है। बडे शहरों में देर रात तक होनेवाली पार्टी, सेलीब्र्रेशन्स, लाईट इफेक्ट्रस, बदलते ट्रॅक इन सभी बातों कि तरफ युवा पिढी
आकर्षीत होती जा रही है। डिजे संगीत में संगीत का स्वरुप बदलकर प्रस्तुत करने कि कला शामील है। इसमें रिमिक्स, मुझिक
कम्पोझिशन, अरेंजमेंट और प्रॉडक्शन का समावेश होता है। DJ संगीत का कोर्स करने वाले छात्रों को संगीत कि अच्छी समज होना जरुरी होता है। साथ ही में इसमें आनेवाले अलग–अलग प्रोफेशनल कोर्स, ॲडव्हान्स कोर्स करना भी जरुरी है। वेडिग्स पाटी, बर्थडे
पार्टी, अवॉर्ड फक्शन इनमें अलगअलग संगीत कि जरुरत होती है। परिस्थिती के अनुरुप संगीत बदलकर प्रस्तुत
करना एक गाने कि धुन को दुसरा ताल देकर प्रस्तुत करना इसके लिए अच्छे अनुभव और शिक्षा कि जरुरत होती है। आज के बदलते संगीत के स्वरुप को देखकर DJ संगीत को बहुत जादा महत्व आचुका है। युवा छात्रों के लिए करिअर कि दृष्टीसे DJ संगीत एक अच्छा क्षेत्र साबित हो सकता है।
मानवने अपनी उन्न्ती के लिए नएनए क्षेत्रों का निर्माण किया है। और उसके लिए
खुदको तयार भी किया है। संगीत क्षेत्र में बहोत लोगों ने करिअर बनाया है। लेकिन संगीत के पारंपारिक क्षेत्र के बाहर निकलकर अलग क्षेत्र में काम करना भी आज जरुरी हो गया है। नये क्षेत्र में काम करके खुद का विकास करना और उसी के साथ दुसरों को भी करिअर कि नई उपलब्धीयाँ
प्रदान करना जरुरी हो गया है। संगीत व्यवसाय कें विश्व में उन्नती करना और आनेवाली नई पिढीयों के लिए उन्नती के नये मार्ग तयार
करना जरुरी है। ताकी नई छात्रों को अपना विकास करना सरल हो जाये