संगीत द्वारा उपचार
भारत मे पुरातन काल से हि वेद और पुरान के सहयोग से रोग निवारण किया जाता था. गंधर्व
वेद सामवेद का हि एक अंग होणे के कारण, गंधर्व वेद के अंगो के उच्चारण से अलग-अलग
रोगो का इलाज किया जाता था. सात सुरो से हि संगीत कि उत्पत्ती हुई है. उसमे हर सूर
का अपना एक अस्तित्व होणे के साथ उसका एक अलग अर्थ भी है. इन्ही सभी सुरो के
स्वरसमुदायो को लेकर रागो कि निर्मिती कि गई है. मनुष्य के शरीर मे कई प्रकार के
चक्र होते है.जब कानो के माध्यम से स्वरो कि ध्वनी मनुष्य के मस्तिष्क मे पोहोचती
है, तब उन चक्रो मे एक प्रकार कि गती निर्माण होती है. वो गती मनुष्य कि कुंडली
स्थानो को और चक्रो को जागृत कर उर्जा प्रदान करते है. ये सभी चक्र जागृत होणे के
कारण मनुष्य के रोगो पर इलाज संभव हो जाता है. हिंदू संस्कृती मे जो ‘ओम’ का
उच्चारण बताया है उससे मानो एक ब्रम्हांड कि निर्मिती का आभास होता है. ये ओमकार
चार स्वरो मे रचा हूआ है, जिनकी ध्वनी से मानव के दोनो अंग दाया और बाया अंग जिनको
हम अनुक्रम से चंद्र और सूर्य मानते है उसमे गती और उर्जा निर्माण होती है. याने
सिर्फ ओमकार के उच्चारण से मनुष्य खुद को सामर्थ्यवान बनाकर खुद के रोगो पर मात कर
सकता है. मनुष्य के शरीर मे जो सात चक्र होते है वो हमेशा गतिशील हि हो ऐसा जरुरी
नही है, क्युकी उनकी गतीशीलता को लगने वाली उर्जा और शक्ती हमेशा नही मिलती. ये
सभी चक्र मनुष्य कि अलग-अलग अंगो से जुडे हुये होते है, और जब ये अंग सही से कार्य
नही कर पाते तब मनुष्य को शरीरिक पिडा संभवती है. मनुष्य कि मानसिकता, भावनिकता,
निष्क्रियता भी चक्र कि स्थिती पर निर्भर करती है.जो लोग भारतीय शास्त्रीय संगीत
नियमित रूप से सुनते या गाते है उनमे एक प्रकार कि विशिष्ट तरंगे उत्पन्न होती है,
जीससे उनके अंतर मन मे अलग-अलग संवेदना, चेतना निर्माण होती है.भारतीय शास्त्रीय
संगीत रागो पर आधारित है और राग अलग-अलग स्वर समुदाय से निर्माण होते है. रागो कि
अलग-अलग संकल्पनाये हमे देखने को मिलती है. राग याने प्रसन्न करना, रंजन करना. संगीत
के स्वर समुदाय कि मधुर ध्वनी लहरी जब एक के बाद एक गायी या सुनी जाती है तब
व्यक्ती का मन प्रसन्न हो जाता है. उस व्यक्ती का ताण तणाव दूर हो जाता है. मनुष्य
के शरीर मे जो चक्र होते है, उनको गतिमान करके उन्हे पिडा मुक्त करणे कि क्षमता
रखने वाले कुछ रागो का परिचय और उनपे आधारीत कुछ फिल्मी गीतो का जिक्र यहा किया
गया है.
1) र्हुदय रोग :- दरबारी कानडा और सारंग इन दोनो रागो को जो लोग
र्हुदय रोग कि ताख्लीफ से गुजर रहे है उन्हे
सुनांना चाहिये.फिल्मी
गीत – कोरा मन दर्पण कहलाये , राधिके तुने
बंसरी चुराई, झनक झनक तोरी बाजे पायलिया, ओ दुनिया के रखवाले, मुहब्बत कि झुठी
कहाणी पे रोये.
2) अस्थमा :- मालकौंस, ललित और दरबारी कानडा राग गाने से
अस्थमा पर इलाज संभव हो सकता है, फिल्मी
गीत- तू छुपी है कहा मै तडपता याहा, तू है मेरा प्रेम देवता, एक शहनशाह ने बनवाके
हसी ताजमहल, मन तडपत हरी दर्शन को आज, आधा है चंद्रमा रात आधी
3) ब्लड प्रेशर :-
राग भैरवी और भूपाली फिल्मी
गीत- (हाई ब्लड प्रेशर)चल उड जा रे पंछी ,
ज्योती कलश छलके, चलो दिलदार चलो (लो ब्लड
प्रेशर)- जहा डाल डाल पर, पंख होते तो उड आती रे
4) एसिडीटी :- खमाज, हवा पाणी जैसी मध्यम ध्वनी फिल्मी
गीत- ओ रब्बा कोई तो बताये प्यार , आयो कहा से घनशाम, छु कर मेरे मन को, कैसे बिते
दिन कैसी बीती रतीया
5) अनिद्रा :- भैरवी
और सोहनी- मध्यम बासुरी वादन फिल्मी
गीत – नाचे मन मोरा मगन, मीठे बोल बोले पायलिया, चिंगारी कोई भडके, छम छम बाजे रे
पायलिया, कुहू कुहू बोले कोयलिया
6) डिप्रेशन :- बिहाग, मधुवंती फिल्मी गीत – तेरे प्यार मे
दिलदार, पिया बावरी, दिल जो ना कह सका,
मेरे सूर और तेरे गीत, मतवारी नार ठुमक ठुमक चली
7) कमजोरी
:– राग –जयजयवंती या थोडा तेज संगीत फिल्मी गीत – साज हो तुम आवाज हु मै, मुहब्बत
कि राहो मे चलना संभलके, मनमोहना बडे झुठे
8) खून
कि कमी :- राग पिलू , मृदंग या ढोलक वादन फिल्मी गीत – मैने रंग ली आज चुनरिया, मोरे
सैया जी उतरेंगे पार, नादिया किनारे
9) सिरदर्द :- भैरव सुनना या गाना लाभदायक होता है.फिल्मी गीत- मोहे भूल गये सावरिया, राम तेरी
गंगा मैली हो गई, पुछो ना कैसे मैने रैन बिताई, सोलह बरस कि बाली उमर को सलाम.